आयुर्वेदिक कैनबिस क्या है: एक संक्षिप्त परिचय
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- Nov 24, 2024
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आजकल, आयुर्वेदिक कैनबिस बहुत चर्चा में है। यह प्राकृतिक उपचार भारतीय औषधीय पौधों की परंपरा से जुड़ा है। इस लेख में, आयुर्वेदिक गांजा के बारे में जानेंगे।
कैनबिस या भांग का इतिहास बहुत पुराना है। भारत में इसकी खेती 5000-4000 ईसा पूर्व से होती आ रही है। इसके अलावा, इसके औद्योगिक उपयोग भी हैं।
भारत में, कैनबिस की कानूनी स्थिति जटिल है। केवल चिकित्सा, वैज्ञानिक या औद्योगिक उद्देश्यों के लिए इसकी खेती की अनुमति है। लेकिन, अवैध स्टेटस के कारण, मुंबई में 2018 में बड़ा राजस्व नुकसान हुआ।
कैलिफोर्निया में कैनबिस बिक्री को वैध करने के बाद, दो साल में कर राजस्व 1 अरब डॉलर से अधिक हो गया।
आज, भारत में पहली कैनबिस दवा परियोजना जम्मू में शुरू हो रही है। यह परियोजना CSIR-IIIM के वैज्ञानिकों और एक कनाडाई फार्मास्युटिकल कंपनी के सहयोग से हो रही है। इसका उद्देश्य न्यूरोलॉजिकल, कैंसर और मिर्गी के इलाज पर ध्यान केंद्रित करना है।
मुख्य बिंदु
आयुर्वेदिक कैनबिस एक प्राचीन औषधीय पद्धति है
भारत में कैनबिस की खेती 5000-4000 ईसा पूर्व से हो रही है
कैनबिस के औद्योगिक उपयोग भी हैं
भारत में कैनबिस की कानूनी स्थिति जटिल है
जम्मू में पहली कैनबिस दवा परियोजना स्थापित की जा रही है
कैनबिस दवा का उपयोग न्यूरोलॉजिकल, कैंसर और मिर्गी के इलाज में किया जा सकता है
कैनबिस का इतिहास और महत्व
कैनबिस का इतिहास बहुत पुराना है। यह पौधा पूरे विश्व में महत्वपूर्ण रहा है। भारत में, आयुर्वेद में इसका उपयोग प्राचीन काल से होता आया है।
भारतीय चिकित्सा पद्धति में इसका विशेष स्थान है। गांजे का इस्तेमाल धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में भी होता रहा है।
यह पवित्र पौधा कई संप्रदायों में पूजा जाता है। आधुनिक समय में भी, कैनबिस का महत्व कम नहीं हुआ है।
कैनबिस के विभिन्न उत्पाद जैसे गांजा, चरस और भांग का उपयोग विभिन्न प्रयोजनों के लिए किया जाता है।
आज भी कई क्षेत्रों में कैनबिस की खेती होती है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड में इसकी खेती होती है।
यहां इसके बीजों का उपयोग सब्जी और चटनी बनाने में किया जाता है।
वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि कैनबिस चिकित्सकीय गुणों से भरपूर है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कैंसर के इलाज में इसकी संभावनाओं को स्वीकार किया है।
यह भारतीय चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
आयुर्वेदिक कैनबिस क्या है
आयुर्वेदिक कैनबिस एक प्राचीन उपचार है। यह आयुर्वेद और कैनबिस के गुणों का मिश्रण है। भारत में दो करोड़ लोग भांग, चरस और गांजा का उपयोग करते हैं।
आयुर्वेद में कैनबिस का स्थान
आयुर्वेद में कैनबिस को विजया कहा जाता है। यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोगी है। संस्कृत ग्रंथों में इसका 200 से अधिक उल्लेख है।
पारंपरिक उपयोग और महत्व
पारंपरिक रूप से, कैनबिस दर्द, अनिद्रा और मानसिक विकारों के लिए उपयोग किया जाता था। यह मांसपेशियों का तनाव कम करता है और तनाव दूर करता है।
आधुनिक चिकित्सा में भूमिका
आधुनिक चिकित्सा में, कैनबिस कैंसर के दर्द, मतली और अन्य लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह चिंता, अवसाद और अल्जाइमर जैसी मानसिक बीमारियों के लक्षणों को भी कम करता है।
हालांकि इसके लाभ हैं, लेकिन इसका नियमित उपयोग स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। इसलिए, चिकित्सक की सलाह से ही इसका उपयोग करना चाहिए।
कैनबिस के प्रकार: भांग, गांजा और चरस
कैनबिस के तीन मुख्य रूप हैं: भांग, गांजा और चरस। भारत में भांग की खेती सदियों से चली आ रही है। यह पत्तियों और बीजों से बनता है।
गांजा सूखे फूलों और पत्तियों से तैयार होता है। चरस कैनबिस के रेजिन से बनता है।
भांग विशेष त्योहारों पर खाया जाता है, जैसे होली और शिवरात्री। इसके बीजों में फाइबर होता है, जो पेट को भरता है।
गांजा दर्द निवारक के रूप में काम करता है। यह कुछ मानसिक रोगों के इलाज में भी मदद करता है।
एक अध्ययन से पता चला है कि 80% लोगों ने भांग से दर्द में राहत पाई। 82% लोगों को दवा की जरूरत नहीं पड़ी।
ओपिओइड दवाओं का उपयोग करने वालों में से 88% को दवा छोड़ने की जरूरत नहीं थी।
लेकिन, मादक पदार्थों का अधिक सेवन मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकता है। इसलिए, सीमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए।
आयुर्वेदिक कैनबिस के प्रमुख घटक
कैनबिस एक जटिल मिश्रण है जिसमें कई रासायनिक यौगिक शामिल हैं। यह भारतीय औषधीय पौधों में से एक है। इसके प्रमुख घटक प्राकृतिक उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए इन घटकों को विस्तार से समझें।
टीएचसी और सीबीडी
टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल (THC) और कैनाबिडिओल (CBD) कैनबिस के दो प्रमुख घटक हैं। THC मनोसक्रिय प्रभाव के लिए जाना जाता है। वहीं, CBD गैर-मनोसक्रिय है और कई चिकित्सकीय लाभ प्रदान करता है।
टर्पीन्स और फ्लेवोनोइड्स
टर्पीन्स और फ्लेवोनोइड्स कैनबिस की सुगंध और स्वाद के लिए जिम्मेदार हैं। ये यौगिक न केवल पौधे की विशिष्ट गंध प्रदान करते हैं, बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं।
अन्य कैनबिनोइड्स
CBN, CBG और THCV जैसे अन्य कैनबिनोइड्स भी कैनबिस में पाए जाते हैं। ये यौगिक विभिन्न चिकित्सकीय प्रभावों के लिए जिम्मेदार हैं। वे प्राकृतिक उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय औषधीय पौधों में कैनबिस का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। वैज्ञानिक अनुसंधान इसके विभिन्न घटकों के चिकित्सकीय लाभों की पुष्टि कर रहा है। इससे प्राकृतिक उपचार के क्षेत्र में नए अवसर खुल रहे हैं।
एंडोकैनाबिनोइड सिस्टम और स्वास्थ्य
एंडोकैनाबिनोइड सिस्टम हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रणाली हमारे शरीर को संतुलित रखने में मदद करती है। इसमें तीन मुख्य भाग होते हैं - कैनाबिनोइड रिसेप्टर, एंडोकैनाबिनोइड और मेटाबोलिक एंजाइम्स।
ये मिलकर हमारे नर्वस सिस्टम और अन्य अंगों को सही तरह से काम करने में मदद करते हैं।
आयुर्वेदिक गांजा इस सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही, यह नींद, भूख और मूड को भी नियंत्रित करता है।
कैनाबिस में पाए जाने वाले टीएचसी और सीबीडी जैसे यौगिक इस सिस्टम के साथ मिलकर काम करते हैं।
सीबीडी शरीर में मौजूद मात्रा को बढ़ाकर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ला सकता है।
यह दवाओं के प्रभाव को भी नियंत्रित कर सकता है।
इस तरह से, एंडोकैनाबिनोइड सिस्टम और आयुर्वेदिक गांजा मिलकर हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह एक प्राकृतिक उपचार का तरीका है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक हो सकता है।
आयुर्वेदिक कैनबिस के चिकित्सकीय लाभ
आयुर्वेदिक कैनबिस कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान कर सकता है। यह दर्द, अनिद्रा, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं में मदद करता है। इसके अलावा, यह भूख बढ़ाता है और मतली को कम करता है।
गांजा कैंसर के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है। यह कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को भी कम करता है। कैनब्लिस बैलेंस ऑयल तनाव और चिंता को कम करता है।
कैनाबिस में THC और CBD जैसे यौगिक होते हैं। ये यौगिक दर्द और सूजन को कम करते हैं। महिलाओं के लिए, यह मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम करता है।
दर्द प्रबंधन में सहायक
अनिद्रा, चिंता और अवसाद में राहत
कैंसर के लक्षणों को कम करने में मदद
कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करता है
तनाव और चिंता को कम करता है
पुराने दर्द और सूजन को कम करता है
गांजे का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए। चिकित्सक की सलाह के बिना इसका उपयोग सुरक्षित नहीं है।
कैनबिस का सुरक्षित उपयोग
कैनबिस एक प्राचीन उपचार है जो आयुर्वेदिक दवाइयों में शामिल है। इसका सुरक्षित उपयोग करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं।
उचित मात्रा और विधि
कैनबिस का सही तरीके से उपयोग करना जरूरी है। SBL कैनबिस सैटिवा डाइल्यूशन 30 CH की खुराक अलग-अलग स्थितियों के लिए अलग होती है। उदाहरण के लिए, मूत्र अवरोध या धुंधली दृष्टि के लिए निर्धारित मात्रा लें।
संभावित दुष्प्रभाव
कैनबिस के उपयोग से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जैसे अल्पकालिक स्मृति हानि, सूखा मुंह और लाल आंखें।
सावधानियां और प्रतिबंध
गर्भवती महिलाओं और कुछ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों को कैनबिस से बचना चाहिए। दवा लेने वाले लोगों को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
कैनबिस अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है। वाहन चलाने से पहले या काम करते समय इसका सेवन न करें।
कैनबिस का उपयोग करते समय हमेशा सावधानी बरतें। अपने स्वास्थ्य की देखभाल करें। यदि कोई प्रतिकूल प्रभाव हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
आयुर्वेदिक कैनबिस उत्पाद
आयुर्वेदिक दवाएं और भारतीय पौधे हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कैनबिस एक ऐसा पौधा है जिसके कई उत्पाद बाजार में हैं। इसमें तेल, क्रीम, कैप्सूल और टिंचर शामिल हैं।
ये उत्पाद कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोगी हैं।
सीबीडी तेल दर्द और सूजन कम करने में मदद करता है। कैनबिस बाम त्वचा की समस्याओं के लिए अच्छा है। कैनबिस चाय भी बहुत पसंद की जाती है।
आयुर्वेद में कैनबिस का उपयोग बहुत है। यह 209 से अधिक फॉर्मूलेशन में उपयोग किया जाता है।
यह 29 बीमारियों के इलाज में मदद करता है। इसमें बुखार, दस्त, भूख न लगना, पेट की समस्याएं, मूत्र विकार, सिरदर्द, मासिक धर्म में दर्द, खांसी, त्वचा रोग, एनीमिया, दर्द, अस्थमा, मोटापा और मिर्गी शामिल हैं।
इन उत्पादों का उपयोग डॉक्टर की सलाह से करें। भारत में, सीबीडी उत्पादों में टीएचसी की मात्रा 0.3% से अधिक नहीं होनी चाहिए। सही मात्रा और उपयोग विधि का पालन करना बहुत जरूरी है।
कानूनी स्थिति और नियामक ढांचा
भारत में कैनबिस के बारे में कानून जटिल है। यह देश में लंबे समय से आयुर्वेद में उपयोग किया जाता रहा है। लेकिन, अब इसकी कानूनी स्थिति राज्यों के अनुसार अलग है।
भारत में कैनबिस की कानूनी स्थिति
कुछ राज्यों में भांग का उपयोग कानूनी है। लेकिन, गांजा और चरस पूरे देश में अवैध हैं। यह आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण के लिए चुनौतीपूर्ण है।
आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में नियमन
आयुर्वेदिक दवाओं में कैनबिस का उपयोग किया जा सकता है। इसका मतलब है कि कैनबिस युक्त दवाएं विशेष नियमों के अनुसार बनाई और बेची जा सकती हैं।
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य
विश्वभर में, कई देशों ने चिकित्सा उपयोग के लिए कैनबिस को वैध कर दिया है। यह भारतीय चिकित्सा पद्धति और आयुर्वेदिक दवाओं के क्षेत्र में नए अवसर खोल रहा है।
हालांकि, चुनौतियां हैं। लेकिन, वैश्विक अनुसंधान कैनबिस के चिकित्सकीय उपयोग को प्रभावित कर सकता है।
आयुर्वेदिक कैनबिस अनुसंधान और विकास
भारत में आयुर्वेदिक कैनबिस पर काम तेजी से बढ़ रहा है। कैनबिस रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत, नई दवाएं विकसित की जा रही हैं। यह परियोजना कनाडाई फर्म के साथ मिलकर चल रही है।
इस अनुसंधान से न्यूरोपैथी, कैंसर और मिर्गी जैसी बीमारियों के इलाज में मदद मिल सकती है। कैनबिस के प्राकृतिक उपचार गुणों का अध्ययन किया जा रहा है।
सीएसआईआर-आईआईआईएम कैनबिस के विभिन्न हिस्सों का अध्ययन कर रहा है। वे देश की स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान दे रहे हैं। इससे नई दवाएं निकल सकती हैं।
जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों में कैनबिस के उपयोग की नीतियों की जांच हो रही है। इससे कैनबिस की खेती और उपयोग बढ़ेगा। यह भारत को कैनबिस के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र बनाने में मदद करेगा।
पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय
आयुर्वेदिक गांजा के क्षेत्र में पारंपरिक और आधुनिक विज्ञान का मिलना बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों पर शोध किया है। इन ग्रंथों में खगोल विज्ञान, गणित, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी और धातुकर्म के विषय हैं।
INSA ने आर्यभटीय, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, और शुल्ब-सूत्र जैसे प्राचीन ग्रंथों के संस्करण प्रकाशित किए हैं। ये प्रकाशन प्राचीन उपचार पद्धतियों को समझने में मदद करते हैं।
1966 में भारतीय विज्ञान इतिहास पत्रिका (IJHS) की शुरुआत हुई। अब तक इसके 57 खंड प्रकाशित हो चुके हैं। 2021 में, यह पत्रिका स्प्रिंगर के साथ सह-प्रकाशन शुरू किया।
आयुर्वेदिक गांजा के क्षेत्र में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय नए और प्रभावी उपचारों के विकास में मदद कर रहा है।
1966-2000 के बीच, राष्ट्रीय आयोग ने प्राचीन भारतीय साहित्य पर शोध शुरू किया। इन अध्ययनों ने आयुर्वेदिक गांजा जैसे प्राचीन उपचारों की व्याख्या में मदद की।
आयुर्वेदिक कैनबिस का भविष्य
आयुर्वेदिक कैनबिस का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखाई दे रहा है। भारत में इसका उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ रहा है। यह इसकी बढ़ती स्वीकृति को दर्शाता है। लेकिन, इसके साथ कुछ चुनौतियां भी हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है।
चिकित्सा क्षेत्र में संभावनाएं
चिकित्सा क्षेत्र में कैनबिस के उपयोग की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। नवंबर 2018 से, विशेषज्ञ डॉक्टर भांग-आधारित दवाएं लिख सकते हैं। यह कदम भारतीय चिकित्सा पद्धति में एक बड़ा बदलाव है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
कैनबिस उद्योग का आर्थिक प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, सीबीडी उत्पादों का बाजार 2022 तक 22 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत में भी इस क्षेत्र में विकास की संभावनाएं हैं। यह रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है।
चुनौतियां और अवसर
कैनबिस के उपयोग से जुड़ी कुछ चुनौतियां हैं। युवाओं में भांग के सेवन से मनोविकृति का खतरा बढ़ जाता है। 1971 के अधिनियम के तहत भांग को वर्ग B के मादक द्रव्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह इसके व्यापक उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, आयुर्वेदिक कैनबिस के लिए कई अवसर हैं। नियंत्रित उपयोग और शोध के माध्यम से, हम इसके लाभों का उपयोग कर सकते हैं। गांजे का इस्तेमाल भारतीय चिकित्सा पद्धति में एक नया अध्याय लिख सकता है। यह पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का सुंदर संगम हो सकता है।
कैनबिस की खेती और उत्पादन
भारत में कैनबिस की खेती और उत्पादन का महत्व बढ़ रहा है। उत्तराखंड ने भांग की खेती को वैध बनाया। यह राज्य भारत का सबसे बड़ा भांग उत्पादक है।
किसानों को हेम्प से 17,000 रुपये प्रति एकड़ मिलते हैं। भांग आयुर्वेदिक दवाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।
हेम्प उद्योग का भविष्य अच्छा दिख रहा है। 2022 में इसका वैश्विक बाजार 5,600 करोड़ रुपये था। 2027 तक यह 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंचेगा।
मेडिकल कैनाबिस का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। भारत में 100 स्टार्टअप हेम्प से जुड़े उत्पादों पर काम कर रहे हैं।
लेकिन, कैनबिस की खेती और उपयोग पर कड़े नियम हैं। भारत में केवल उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में ही हेम्प की खेती की अनुमति है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कैनबिस का उपयोग केवल वैध और चिकित्सकीय उद्देश्यों के लिए ही किया जाए।
FAQ
कैनबिस क्या है?
कैनबिस एक पौधा है जिसका उपयोग मनोसक्रिय पदार्थ के रूप में किया जाता है। इसे मारिजुआना, गांजा और भांग के नाम से भी जाना जाता है।
कैनबिस का पारंपरिक इतिहास क्या है?
भारत में, कैनबिस आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में भी किया जाता था।
आयुर्वेद में कैनबिस का स्थान क्या है?
आयुर्वेद में कैनबिस को 'विजया' कहा जाता है। इसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जाता है।
कैनबिस के प्रमुख प्रकार कौन से हैं?
कैनबिस के तीन प्रमुख प्रकार हैं: भांग, गांजा और चरस। भांग पत्तियों और बीजों से बनता है, गांजा फूलों और पत्तियों से, और चरस रेजिन से।
कैनबिस के प्रमुख घटक क्या हैं?
कैनबिस में THC और CBD मुख्य घटक हैं। इसके अलावा, तुर्पीन्स और फ्लेवोनोइड्स भी महत्वपूर्ण हैं।
एंडोकैनाबिनोइड सिस्टम क्या है?
यह शरीर की एक प्रणाली है जो कैनाबिनोइड्स के साथ काम करती है। यह शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करती है।
आयुर्वेदिक कैनबिस के क्या लाभ हैं?
आयुर्वेदिक कैनबिस दर्द से राहत, अनिद्रा का इलाज, चिंता और अवसाद कम करने में मदद करता है। यह भूख बढ़ाने और मतली कम करने में भी सहायक है।
कैनबिस का सुरक्षित उपयोग कैसे किया जाए?
सुरक्षित उपयोग के लिए उचित मात्रा और तरीका महत्वपूर्ण है। कुछ सावधानियां अपनाकर दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
आयुर्वेदिक कैनबिस उत्पादों के उदाहरण क्या हैं?
आयुर्वेदिक कैनबिस उत्पादों में तेल, क्रीम, कैप्सूल और टिंचर शामिल हैं। लोकप्रिय उत्पादों में CBD तेल, कैनाबिस बाम और चाय शामिल हैं।
भारत में कैनबिस की कानूनी स्थिति क्या है?
भारत में भांग का उपयोग कुछ राज्यों में कानूनी है। लेकिन गांजा और चरस अवैध हैं। आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में कैनबिस का उपयोग किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक कैनबिस पर अनुसंधान और विकास कैसे हो रहा है?
वैज्ञानिक कैनबिस के चिकित्सकीय गुणों की खोज कर रहे हैं। अनुसंधान कैनबिस के घटकों और उनके प्रभावों पर केंद्रित है।
आयुर्वेदिक कैनबिस का भविष्य कैसा दिखता है?
चिकित्सा क्षेत्र में इसकी संभावनाएं बढ़ रही हैं। लेकिन नियामक चुनौतियां और सामाजिक धारणाएं कुछ बाधाएं पैदा करती हैं।
कैनबिस की खेती और उत्पादन कैसे किया जाता है?
कैनबिस की खेती में उचित मिट्टी, जलवायु और देखभाल की आवश्यकता होती है। इसमें कटाई, सुखाने और प्रसंस्करण शामिल हैं।
आयुर्वेदिक कैनबिस क्या है










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